कठुआ, उन्नाव, ऐटा, रोहतक, ग्वालियर एक के बाद एक लगातार सामने आ रहे बलात्कार के मामलों से पूरे देश में आक्रोश व्याप्त है। बलात्कारियों को फांसी की सजा दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने कानून में हालिया सुधार लाया है। वहीं बुधवार को नाबालिग के यौन उत्पीड़न के मामले में स्वघोषित संत आसाराम को उम्रकैद की सजा सुनाई गई। एक तरफ जहां इस मामले में पीड़िता को इंसाफ मिला, जैसी प्रतिक्रिया व्यक्त की जा रही है, वहीं दूसरी ओर पुणे के पिंपरी चिंचवड़ शहर में अपहरण के बाद बलात्कार कर दो मासूमों को आज छह साल बाद भी इंसाफ का इंतजार है। इन मासूमों के गुनहगार आज भी पुणे पुलिस, जिसकी क्राइम ब्रांच मामूली चोर को पाताल से ढूंढ निकालने में माहिर है, की गिरफ्त से दूर है। ये मासूम तो इतनी अभागी साबित रही कि, उनके लिए कहीं एक ‘मोमबत्ती’ तक नहीं जल सकी है। पिंपरी चिंचवड़ की इन ‘निर्भया’, ‘आसिफा’ को कब न्याय मिलेगा? यह सवाल आज भी अनसुलझा ही है।
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